Song parody of
Dil Haarne Wale Aur Bhi Hai
by Asha Bhosle
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आ आ आ आ आ आ आ आ
दिल हारने वाले और भी है सरकार दीवाने और भी हैं
दिल हारने वाले और भी है सरकार दीवाने और भी हैं
हम पर ही चले क्यों तीर ए नज़र
हम पर ही चले क्यों तीर ए नज़र
महफ़िल में निशाने और भी हैं
उल्फत की अज़ब ये मंज़िल है
आ आ अब देखिये क्या क्या होता है
उम्मीद के हुंचे खिलते है
उम्मीद के हुंचे खिलते है
या खूने तमन्ना होता है या खूने तमन्ना होता है
हो खैर मोहब्बत वालों की हो खैर मोहब्बत वालों की
दुश्वार ज़माने और भी हैं दिल हारने वाले और भी हैं
सरकार दीवाने और भी हैं
दिल ने तो छुपायी लाखों बार सीने में क़यामत छुप न सकी
आँखों ने भरम सब खोल दिए वल्लाह मोहब्बत छुप न सकी
आँखों ने भरम आँखों ने भरम सब खोल दिए वल्लाह मोहब्बत छुप न सकी
सब देखने वाले जान गए
सब देखने वाले जान गए
कुछ दिल के फ़साने और भी है हम पर ही चले क्यों तीर ए नज़र
महफ़िल में निशाने और भी है
नज़रे हो किसी पर साकी की महफ़िल से कोई महरूम उठे
एक नगमा ए उल्फत वो ही नहीं
एक नगमा ए उल्फत वो ही नहीं
सुनकर जिसे दुनिया झूम उठे
दिल गाये मगर आवाज़ न हो
आ आ दिल गाये मगर आवाज़ न हो
कुछ ऐसे तराने और भी हैं हमपर ही चले क्यों तीर ए नज़र
महफ़िल में निशाने और भी हैं
आ आ आ आ आ आ आ आ
दिल हारने वाले और भी है सरकार दीवाने और भी हैं
दिल हारने वाले और भी है सरकार दीवाने और भी हैं
हम पर ही चले क्यों तीर ए नज़र
हम पर ही चले क्यों तीर ए नज़र
महफ़िल में निशाने और भी हैं
उल्फत की अज़ब ये मंज़िल है
आ आ अब देखिये क्या क्या होता है
उम्मीद के हुंचे खिलते है
उम्मीद के हुंचे खिलते है
या खूने तमन्ना होता है या खूने तमन्ना होता है
हो खैर मोहब्बत वालों की हो खैर मोहब्बत वालों की
दुश्वार ज़माने और भी हैं दिल हारने वाले और भी हैं
सरकार दीवाने और भी हैं
दिल ने तो छुपायी लाखों बार सीने में क़यामत छुप न सकी
आँखों ने भरम सब खोल दिए वल्लाह मोहब्बत छुप न सकी
आँखों ने भरम आँखों ने भरम सब खोल दिए वल्लाह मोहब्बत छुप न सकी
सब देखने वाले जान गए
सब देखने वाले जान गए
कुछ दिल के फ़साने और भी है हम पर ही चले क्यों तीर ए नज़र
महफ़िल में निशाने और भी है
नज़रे हो किसी पर साकी की महफ़िल से कोई महरूम उठे
एक नगमा ए उल्फत वो ही नहीं
एक नगमा ए उल्फत वो ही नहीं
सुनकर जिसे दुनिया झूम उठे
दिल गाये मगर आवाज़ न हो
आ आ दिल गाये मगर आवाज़ न हो
कुछ ऐसे तराने और भी हैं हमपर ही चले क्यों तीर ए नज़र
महफ़िल में निशाने और भी हैं