Log To Baat Ka Afsana Bana Dete
Mohammed Rafi, Manna Dey
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जिसको जलने की ना परवाह हो वो परवाना है शमा के हुस्न का सुनते है के दीवाना है वाक़या क्या है कोई इससे खबरदार नही एक जूता सा अफ़साना ही अफ़साना है लोग तो बात का लोग तो बात का अफ़साना बना देता है आचे अछो को आचे अछो को आचे अछो को अजी हा आचे अछो को ये दीवाना बना देते है दीवाना बना देते है लोग तो बात का अफ़साना बना देता है शमा से पूछा ये एक रोज ओ नूरे महफ़िल क्या खुदा ने तुझे बक्षा नही उलफत भरा दिल जो गले तुझसे मिले उसको जला देती है जो गले तुझसे मिले उसको जला देती है चाहने वाले की हस्ती ही मिटा देती है चाहने वाले की हस्ती ही मिटा देती है शमा ने आग रखी सर पे कसम खाने को बखुदा मैने जलाया नही परवाने को लोग तो बात का अफ़साना बना देता है आचे अछो को ये दीवाना बना देते है कहा ये शमा ने परवाना मुझपे मरता है अदल से मेरी मोहब्बत का दम ये भरता है किसी हाशीन की महफ़िल हो या हो वीराना किसी हाशीन की महफ़िल हो या हो वीराना जहा जहा मई जालु आही जैइयस दीवाना जहा जहा मई जालु आही जैइयस दीवाना हज़ार बार ये हा हा समज़ा ही चुकी के आग हू मई ना खेल मुझसे मोहब्बत के हक मे नाग हू मई परवाने का बस अक राग तेरा हुस्न आग मेरा इश्क आग परवाने का बस अक राग तेरा हुस्न आग मेरा इश्क आग परवाने का परवाने का अजी हा हा बस अक राग बस अक राग तेरा हुस्न आग मेरा इश्क आग तेरा हुस्न आग मेरा इश्क आग पूछा परवाने से नादान तू क्यो जलता है मॉट जिस रह मे है उसपे तू क्यो चलता है शमा ने क्या तुझे समझाया नही बोला समझाया तो है शोला क्या तुझको नज़र आया नही बोला जी आया तो है जिंदगी से तुझे नफ़रत क्यो है बोला नफ़रत कसी है शमा से फिर तुझे उलफत क्यो है बोला उलफत कैसी शमा से मुझको मोहब्बत हो ये नामुमकिन है ऐसी कामभखत की चाहत हो ये नामुमकिन है नूर उसका मुझे अक आँख नही भाता है इसके जलने से कलेजा मेरा जल जाता है मेरी महबूब को ये मुझसे जुड़ा करती है मेरी डुस्मान है मेरी डुस्मान है सारे शाम जला करती है मई तो आशिक हू मई तो आशिक हू रात की स्याही का हू मई तो आशिक हू रात की स्याही का शमा पैगाम मेरी तबाही का शमा पैगाम मेरी तबाही का मई तो आशिक हू रत की सीयाई का मई तो आशिक हू बात कह दी है सच सच यकीन कीजिया जो ना आई यकीन ये सबूत लीजिया शमा दिन को जले शमा दिन को जले तो मई आता नही इसके जलने से मई तिलमिटा नही मई तो आशिक हू मई तो आशिक हू मई आशिक हू आशिक हू आशिक हू आशिक हू आशिक हू रात की सीयाई का मई तो आशिक हूँ रात की सीयाई का मई तो आशिक हू
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Written by: CHITRAGUPTA, RAJINDER KRISHAN
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"Log To Baat Ka Afsana Bana Dete Lyrics." Lyrics.com. STANDS4 LLC, 2024. Web. 3 Jun 2024. <https://www.lyrics.com/lyric-lf/8620321/Mohammed+Rafi/Log+To+Baat+Ka+Afsana+Bana+Dete>.
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